Best Nafrat Shayari 2025: Bitterness in Verses
Nafrat Shayari serves as a powerful medium for expressing the tumultuous feelings that accompany heartbreak and betrayal. In a world where love is celebrated, it’s essential to acknowledge and understand the emotions of hate that can arise when relationships falter.
This article will explore the significance of Nafrat Shayari, illustrating how it not only reflects personal pain but also resonates with a broader audience experiencing similar sentiments. By the end, readers will discover the therapeutic value of articulating these emotions through poetry.
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Nafrat Shayari
जरूरत है मुझे नये नफरत करने वालों की
पुराने तो अब मुझे चाहने लगे है !!
तेरी नफरत को मैने प्यार समझ कर अपनाया है,
प्यार से ही नफरत खत्म होता है,
तूने ही तो समझाया है !!
कत्ल तो लाजिम है इस बेवफा शहर में,
जिसे देखो दिल में नफरत लिये फिरता है !!
दिलों में अगर पली बेजान कोई हसरत न होती,
हम इंसानों को इंसानों से यूँ नफरत न होती !!
कोई तो हाल-ए-दिल अपना भी समझेगा,
हर शख्स को नफरत हो जरूरी तो नहीं !
मुझसे नफरत करने वाले भी,
कमाल का हुनर रखते हैं,
मुझे देखना तक नहीं चाहते,
लेकिन नजर मुझपर ही रखते हैं !!
उसने मुझ से नफरत मरते दम तक,
करने की कसम खा ली है,
और मैंने भी उसे प्यार मरते दम तक,
करने की कसम खा ली है !!
नफरत शायरी

मोहब्बत सच्ची हो तो कभी नफरत नहीं होती है,
अगर नफरत होती है तो मोहब्बत सच्ची नहीं होती है !
हमें बरबाद करना है तो हमसे प्यार करो
नफरत करोगे तो खुद बरबाद हो जाओगे
तेरी नफरत को मैने प्यार समझ कर अपनाया है,
प्यार से ही नफरत खत्म होता है,
तूने ही तो समझाया है !!
कत्ल तो लाजिम है इस बेवफा शहर में,
जिसे देखो दिल में नफरत लिये फिरता है !!
नफरत की आग जो तुमने,
इस दिल में लगाई है,
तुमसे ही नही मोहब्बत,
से भी हमें शिकायत हुई है !
मैं काबिले नफरत हूँ तो छोड़ दे मुझको,
तू मुझसे यूँ दिखावे की मोहब्बत न किया कर !!
तेरी बेवफाई में ना नफरत हुई,
और ना ही इश्क खत्म हुआ !!
Attitude Nafrat Shayari
दिलों में अगर पली बेजान कोई हसरत न होती,
हम इंसानों को इंसानों से यूँ नफरत न होती !!
कोई तो हाल-ए-दिल अपना भी समझेगा,
हर शख्स को नफरत हो जरूरी तो नहीं !
खुदा सलामत रखना उन्हें,
जो हमसे नफरत करते हैं,
प्यार न सही नफरत ही सही कुछ तो है,
जो वो सिर्फ हमसे करते हैं !
मुझसे नफरत करने वाले भी,
कमाल का हुनर रखते हैं,
मुझे देखना तक नहीं चाहते,
लेकिन नजर मुझपर ही रखते हैं !!
ना मेरा प्यार कम हुआ न उनकी नफरत,
अपना अपना फर्ज था दोनों अदा कर गये !
उसने मुझ से नफरत मरते दम तक,
करने की कसम खा ली है,
और मैंने भी उसे प्यार मरते दम तक,
करने की कसम खा ली है !!
वो नफरतें पाले रहे हम प्यार निभाते रहे,
लो ये जिंदगी भी कट गयी खाली हाथ सी !
Dard Nafrat Shayari

नफरत मत करना मुझसे बुरा लगेगा,
बस एक बार प्यार से कह देना,
अब तेरी जरूरत नहीं !!
दिल पर न मेरे यू वार कीजिए,
छोड़ो ये नफरत थोड़ा प्यार कीजिए,
तड़पते हैं जिस कदर तेरे प्यार में हम,
कभी खुद को भी उस कदर बेकरार कीजिए !
तुम उसे नफरत से क्या डराओगे,
जिसे मोहब्बत से ज्यादा नफरत ही मिली हो !
कभी उसने भी हमे चाहत का पैगाम लिखा था,
सब कुछ उसने अपना हमारे नाम लिखा था,
सुना है आज उसे हमारे जिक्र से भी नफरत है,
जिसने कभी अपने दिल पर हमारा नाम लिखा था !
दिल है की मानता नहीं,
नफरत करने की बजाय प्यार,
करने की वजह ढूंढ़ता रहता है !
तेरे हर एक अक्स से नफरत होने लगी,
कुछ इस कदर हमे खुद से मोहब्बत होने लगी !
नहीं हो तुम हिस्सा अब मेरी हसरत के
तुम काबिल हो तो सिर्फ नफरत के !
जमाना वो भी था जब तुम खास थे,
जमाना ये भी है के तेरा जिक्र तक नहीं !
Conclusion
Nafrat Shayari serves as a powerful medium to express the complexities of human emotions, particularly the darker facets of love and resentment. Through carefully crafted verses, poets articulate feelings of betrayal, heartbreak, and anger, allowing readers to resonate with their sentiments.
This form of poetry not only provides solace to those experiencing similar emotions but also offers a reflective space for understanding the depth of negative feelings.